आंशिक शराबबंदी का असर

छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में आंशिक शराबबंदी लगा दी है. जैसे ही यह प्रतिबंध लगाने का एलान हुआ वैसे ही दिसम्बर 2011 में हुई शराब की बिक्री का सरकारी आंकड़ा भी आ गया. अब सरकार ने यह एलान कर दिया है कि आंशिक शराब बंदी है, तो उसी को ध्यान में रख कर आंकडे भी जारी कर दिए हैं, जबकि जहां-तहां शराबियों को बडबड़ाते, सड़क किनारे औंधे पड़े या नालियों में गिरे देख सकते हैं. क्या सुबह और क्या शाम-रात हर वक्त इन दुकानों में ग्राहकों की लंबी लाइन लगी देखी जा सकती है और इसे खरीदे वाले बच्चे से लेकर वृध्द तक होते हैं. एक बार मेरा गांव जाना हुआ और हम एक बस स्टेण्ड में पानी की बोतल लेने अपनी कार को रोके तो वहीं शराब की दुकान भी थी, जहां से एक महिला शराब खरीद अपने ब्लाउज में छिपा कर सहजता से आगे बढ़ गई. अब सरकारी आंकड़े जो भी कहे पर इसकी लत हर वर्ग, हर समुदाय और क्या नर क्या नारी प्रत्येक को लग चुकी है. कोई उत्सव हो या गम पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए… फिर ये आंकड़े?  कहीं फर्जी तो नहीं?
सरकारी आंकडा कहता है कि अप्रैल 2011 से लेकर नवम्बर 2011 तक रायपुर जिले में देशी शराब 51.92 लाख प्रूफ (एक पू्रफ लीटर अर्थात 750 मिली लीटर) एवं विदेशी शराब 86.72 लाख प्रूफ लीटर बिकी है. वहीं जब से आंशिक शराबबंदी लगाई गई है तो दिसम्बर माह में देशी शराब 6.13 लाख पू्रफ लीटर और विदेशी शराब 10.63 लाख पू्रफ लीटर बिकी है. इस बीच नये साल का जश्न मनाया गया और जमकर शराबखोरी हुई फिर भी ये आंकडे? कहीं आंकडे बनाते समय अधिकारी ने छक कर पी तो नहीं ली थी?

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