संबंधों को लेकर कैसा विवाद

संबंधों को लेकर कैसा विवाद
संबंधों की उम्र 18 से घटाकर 16 वर्ष करने पर बहस छिड़ चुकी है. अधिकांश नेता और जो स्वयं को जागरूक मानते हैं, वे उम्र कम किये जाने के विरोध में सक्रिय हो रहे हैं. अच्छी बात है इससे वे नवयुवती और नवयुवक जागरूक हो रहे हैं, जिन्हें अब तक यह पता ही नहीं था, कि यदि बलात्कार होता है, तो उसकी सजा क्या है और कैसे एक व्याभिचारी अपनी सजा कम करा लेता था.
म.प्र. बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने तो बकायदा प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षम आयोग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को पत्र लिख दिया है वहीं अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री यह कह रहे हैं कि यदि यह बिल पास हो गया तो भी उसे हम अपने राज्य में लागू नहीं करेंगे.
बच्चों के अभिभावक एवं स्वयं युवक-युवतियां इस बिल को लेकर विरोध जाहिर कर रहे हैं. अनेक लोगों के विचार जानने के बाद मेरी समझ में यह नहीं आया कि क्या अभिभावकों को अपने युवा हो रहे बच्चों पर विश्वास नहीं है कि वे इस बिल के पास हो जाने से अचानक व्याभिचार की ओर रूख कर देंगे. क्या घर में उन्हें यह संस्कार नहीं  दिये जा रहे हैं कि उन्मुख्त सेक्स हमारे कल्चर का हिस्सा नहीं है? क्या अभिभावक अपनी दुनिया में इतने व्यस्त हैं कि बच्चों के लिए उनके पास वक्त नहीं है कि उन्हें सही दिश दे सकें?
माता-पिता की बेफिक्री के चलते ही अनेक बच्चे अपने ही घरों में यौन शोषण के शिकार होते हैं. उन्हें मौन रहने कहा जाता है, क्यों? क्या हमने अपने बच्चों से दूरी बना कर रखी है कि वे इस विषय में खुल कर अपनी परेशानी व्यक्त ना करें और अगला व्यक्ति लगातार शोषण करता रहे? कुछ बच्चों को इतनी पाबंदी में रखा जाता है कि वह घर की चोखट पार करते ही स्वतंत्र होने का अहसास करते हैं और वह सब करने लगता है, जो उसे गर्त की ओर लेकर जाता है.
पहले चोरी-छिपे सेक्स होता था. अब ऐसा नहीं होगा. अब अपराधी दंडित हो सकेंगे, जिससे अपराध घटेगा. बवाल इसे लेकर इतना क्यों आखिर जनजातीय समाज में कम उम्र में सेक्स जायज है, पर हमारा समाज रूढ़िवादी है इसलिए परेशानी हो रही है.
जिन्दगी एक बार और चार पल की जिन्दगी का भरपुर आनंद लिया जाए, इस सिध्दान्त को कुछ लोग फालो करते हैं, तो लीजिये मजा, किसने रोका है, पर पहले शिक्षा, फिर शादी  फिर बाल-बच्चे (शादी और बाल-बच्चे, जरूरी हो तभी) इस क्रम का पालन करें. यदि आपने शिक्षा नहीं ली तो जिन्दगी का मजा कैसे ले पायेंगे कैसे अर्थोपार्जन करेंगे और कैसे सुख की अनुभूति करेंगे.
शशि परगनिहा
15 मार्च 2013, शुक्रवार
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